रैंसमवेयर-ए-सर्विस (RaaS) साइबर अपराध की दुनिया में एक अपेक्षाकृत नया लेकिन तेजी से बढ़ता हुआ खतरा है। यह अनिवार्य रूप से अपराधियों के लिए किराये पर बंदूक की दुकान के समान है। जिस तरह एक बंदूक की दुकान से कोई बंदूक किराए पर ले सकता है और बैंक को लूट सकता है, उसी तरह रैंसमवेयर किट किराए पर ले सकता है और लोगों के कंप्यूटर और डेटा को बंधक बना सकता है।
RaaS कैसे काम करता है?
रैंसमवेयर डेवलपर एक रैंसमवेयर प्रोग्राम बनाता है और उसे डार्क वेब पर बेचता है या किराए पर देता है। इस प्रोग्राम में आमतौर पर मैलवेयर, एक्सप्लॉइट किट और पेमेंट पोर्टल शामिल होते हैं। खरीदार या किराएदार तब इस किट का उपयोग कंप्यूटर सिस्टम पर हमला करने और उनके डेटा को एन्क्रिप्ट करने के लिए करते हैं। एक बार डेटा एन्क्रिप्ट हो जाने के बाद, हमलावर पीड़ित से बिटकॉइन या किसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती की मांग करते हैं।
RaaS भारत में क्यों खतरनाक है?
भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, और RaaS इस वृद्धि में एक प्रमुख कारक है। इसके कई कारण हैं:
डिजिटल अपनाने में वृद्धि: भारत में तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है, जिससे साइबर अपराधियों के लिए हमले की सतह बढ़ गई है।
साइबर सुरक्षा जागरूकता का अभाव: कई भारतीय व्यवसायों और व्यक्तियों में साइबर खतरों और कमजोरियों के बारे में जागरूकता का अभाव है।
कमजोर साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचा: कई भारतीय संगठनों में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों का अभाव है, जिससे वे आसान लक्ष्य बन जाते हैं।
RaaS से कैसे बचें?
यहां कुछ कदम उठाए जा सकते हैं जिनसे व्यक्ति और संगठन भारत में RaaS के हमलों से खुद को बचा सकते हैं:
अपने डेटा का नियमित रूप से बैकअप लें: आपके डेटा का बैकअप होने से आप अपने सिस्टम को जल्दी से बहाल कर सकते हैं और फिरौती की मांग का भुगतान करने से बच सकते हैं।
सुरक्षा सॉफ्टवेयर स्थापित करें और अपडेट करें: मैलवेयर से अपने सिस्टम की सुरक्षा के लिए एंटीवायरस, एंटी-मैलवेयर और फ़ायरवॉल सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
अपने कर्मचारियों को शिक्षित करें: अपने कर्मचारियों को फिशिंग के हमलों की पहचान करने और उनसे बचने के लिए साइबर सुरक्षा सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रशिक्षित करें।
मजबूत पासवर्ड नीतियों को लागू करें: मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और अपने खातों की सुरक्षा के लिए दो-कारक प्रमाणीकरण सक्षम करें।
अपने सिस्टम को नियमित रूप से पैच करें: अपने सॉफ़्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को नियमित रूप से अपडेट करें ताकि कमजोरियों को ठीक किया जा सके जिनका साइबर अपराधी फायदा उठा सकते हैं।
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